Tuesday, May 8, 2018

नफरत का विकल्प नफरत नही - आवश्यकता एक गैर-दक्षिणपंथ वैकल्पिक विचारधारा की .

साथियों तीन दिन पहले ट्विट्टर एक बारी फिर से राजनैतिक अखाड़े में तब्दील हो गया  
तीन दिन पहले पर प्रधानमंत्री मोदी के लेकर दो ट्रेंड चल रहे थे

1. #IHateModi

2.#WeLoveModi

ये दोनों ट्रेंड लगभग पूरे दिन तक ट्रेंड में रहे 

और एक बारी फिर से हम एक चक्रव्यूह में फसे ,मुझे नही पता कि ये ट्रेंड किसने कैसे कब क्यों शुरू किए पर पहले ट्रेंड( #IHateModi) में मोदी सरकार के खिलाफ बढ़ता आक्रोश,असहमति और नफरत दिखाई पड़ी और दूसरे ट्रेंड(#WeLoveModi) में मोदी विरोधियों के प्रति मोदी भक्तों ने नफरत और मोदी भक्तों की मोदी के प्रति भक्ति का जबर्दस्त शक्ति प्रदर्शन देखने को मिला , कुल मिला कर कहीं ना कहीं सोशल मीडिया में चर्चा जो है नफरत बनाम नफरत रही और एक व्यक्ति विशेष या कहें तो एक राजनेता के उपर आकर खड़ी हो गयी . 

पर इसका फायदा कहीं ना कहीं मोदी जी को ही होना है क्योंकि इसी नफरत के दम पर मोदी जी पनपे है उन्होंने हमारी नफरत को विचारधारा और उनके दक्षिणपंथी तंत्र की तरफ से घुमाकर स्वयं पर ला खड़ा किया अब हमारी नफरत उनके लिए एक पोषक तत्व का ही काम करती है क्योंकि भाजपा आई टी सेल और गोदी मीडिया कहीं ना कहीं ये साबित करने में सफल रहते है की मोदी विरोधी देश द्रोहियों का जमावड़ा है वो हर चुनाव में पूरे विपक्ष को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जन मानस में देश द्रोही घोषित करने में सक्षम और सफल रहते हैं .जबकी ध्रुव सक्सेना जैसे दर्जन भर गैर मुसलमान आईएसआई एजेंट उनकी पार्टी और पार्टी से जुड़े सन्गठन से पैदा हो रहे थे फिर भी देशभक्ति की जंग में वो हम पर भारी पड़ रहे हैं , क्योंकि हम कहीं ना कहीं राजनैतिक तौर पर एक वैकल्पिक विचारधारा ,राष्ट्रवाद या वैकल्पिक विकास के मॉडल को प्रस्तुत नही कर पा रहे हैं , उनकी दक्षिणपंथी विचारधारा जनमानस में एक भय पैदा करने में बेहद सक्षम रहती है की अगर "भाजपा या मोदी " हार गये तो हमारा धर्म और देश खतरे में होगा  . ये लोग प्रजातंत्र में असुरक्षा की भावना पैदा करते है , प्रजातंत्र के खिलाफ एक अविश्वास और असुरक्षा की भावना पैदा करते है ये एहसास दिलाकर की अगर हम हार गये तो देश के दुश्मन या धर्म के दुश्मन जीत जाएँगे . येही इनका दक्षिणपंथी  "संघ तंत्र " रात दिन करता है . असुरक्षा की भावना पैदा कर वोटर के मन में विपक्ष के प्रति नफरत और अविश्वास का भाव पैदा करना . इस सन्दर्भ में वो कोई भी मौका नही चूकते .

जो लोग संघ , भाजपा और अन्य दक्षिणपंथी संघठनों की विचारधारा से सहमत नही या उनकी विचारधारा को पसंद नही करते या उनका विरोध करते है उनसे ये निवेदन है की आप इस बात को पहचाने की ये लोग हमारी सांस्कृतिक विविधता , सहिष्णुता , वैचारिक विविधता से लेकर हमारे बुद्धिजीवी होने तक इन सभी पहलुओं से नफरत करते हैं और ये लोग बहुत तहे दिल से चाहते है की हम भी इनका विरोध करते करते इनके जैसे मुर्ख ,कुतर्की , कट्टरवादी , अंध भक्त हो जाये ताकि ये लोग पूरी दुनिया मे ये साबित कर सके की हम मोदी से नफरत नफरत करते करते देशद्रोही हो गए ताकि ये साबित हो जाये कि मोदी ही भारत है और संघ उसका शासक है .पूरे भाजपा का आईटी सेल और गोदी मीडिया इस ताक में रहता है की कब हम मोदी विरोध के चक्कर मे कुछ ऐसा बोल दे या कुछ ऐसी घटना को अंजाम दे ताकी पूरी कायनात में ये लोग प्रचार प्रसार कर दे की मोदी विरोध की आड़ में देशद्रोह को अंजाम दिया जा रहा है.

जिस तरह दक्षिणपंथी धड़ा बिना रुके बिना थके झूठ और प्रोपोगेंडा का विस्तार सोशल मीडिया पर करता है उसे काउंटर करने के लिए उतनी ही तेज़ी से सोशल मीडिया पर प्रयास होने अति आवश्यक है.परन्तु इस झूठ और प्रोपगैंडा को काउंटर करने के लिए हमे कुछ बातों से परहेज करना पड़ेगा और कुछ बातों पर ध्यान देना होगा 

1.शेत्रीय और स्थानीय नेतृत्व किसके हाथ में होगा इस पर किसी भी नकरात्मक सोशल मीडिया की चर्चा में उलझने से बचे .

2. सन्गठन से जुड़ी किसी भी नकरात्मक सोशल मीडिया चर्चा का हिस्सा ना बने 
    पर इसका मतलब ये कभी नही की आप सन्गठन में अगर कुछ नकरात्मक या गलत हो रहा है तो उस पर चर्चा ना करे ,
    चर्चा हो पर उस तरीके से नही जिस तरीके से आज कल हम टी वी पर डिबेट करते है निरर्थक और नकरात्मक .  
    संदेश ये भी जाना चाहिए की पार्टी के अंदर प्रजातंत्र पनप रहा है और कार्यकर्ता की भी सुनवाई है और पार्टी से जुड़े विभिन्न विषयों पर         एक सार्थक बहस होती है और सुनवाई भी है . 

3.दक्षिण पंथी विचारधारा का विरोध करते हुए अपनी विचारधारा और अपने संघठन को सोशल मीडिया के माध्यम से स्थापित करना और संगठन से जुड़ी गतिविधियों और मूल्यों का अधिक से अधिक प्रचार प्रसार करना ताकि सोशल मीडिया पर एक वैकल्पिक विचारधारा का लोगो को एहसास हो  .

याद रखिएगा उत्तरप्रदेश में भाजपा के पास 5 मुख्यमंत्री के चहरे थे पर उन्होंने या उनके कार्यकरक्ताओं ने कभी इस विषय पर समय बर्बाद किया ही नही की कौन मुख्यमंत्री होगा , उन्होंने अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद की आड़ में सभी विपक्षियों को देशद्रोही दिखला जंग जीत ली और उत्तप्रदेश में ऑफलाइन और ऑनलाइन उनका एक सुनियोजित संगठित प्रयास रहा जिसके चलते उनको ज़बरदस्त जीत मिली. 


इस कद के व्यक्ति को हराने के लिए आपको ये समझना होगा की आप उनसे नफरत करके नही हरा सकते , आपको उनके तंत्र को समझकर तोड़ना होगा , अंग्रेज़ी में कहते है - हेट द सिस्टम , नॉट द पर्सन (hate the system not the person). अगर नफरत के प्रतीक से नफरत करोगे तो कभी नफरत पर फतह नही कर पाओगे , पर जैसे ही आप एक ऐसा तंत्र बना लेते है जिसकी संगत में आते है नफरत के समर्थक नफरत छोड़ दे या उनकी नफरत अपाहिज हो जाये तभी आप सही मायनों में नफरत और उसके प्रतीक पर फतह हासिल कर पाओगे . याद रखियेगा की भाजपा आई टी सेल और गोदी मीडिया कभी ये नही चाहेंगे की आप कभी अपने बारे में बात करे या जनता को उस प्रकार की रीति नीति का विवरण दे या एहसास करवाएं जो साहिष्णु और धर्मनिरपेक्ष हो और जो समावेशी समाजिक और आर्थिक विकास का मॉडल लोगों के ज़हन में उतार सके . 

वो लोगो के ज़हन में सिर्फ नफरत और पुर्वाग्रह को ही पनपने देना चाहते हैं उनका काम है सिर्फ नफरत बाट के वोट समेटना और विरोधियों के वोट तोड़ना.इस बात को ज़हन में बैठा लीजिये की भाजपा अब एक ईस्ट इंडिया कंपनी की तरह व्यवहार करने पर उतारू है और संघ ब्रिटिश साम्राज्यवादी सरकार की तरह पर आपको वैसे ही व्यवहार करना होगा जैसा हमने आज़ादी के आंदोलनों में किया था . याद रखियेगा आज़ादी के पहले और आज़ादी के बाद भी हमने अंग्रेज़ों से ना ही नस्लीय नफरत करी थी और ना ही कोई धार्मिक नफरत करी थी और हमारा देश उदाहरण बना एक सबसे बड़े अहिंसक आंदोलन का , आज़ादी के बाद भी अगर कोई ब्रिटिश नागरिक हमारे देश मे आते है तो हम उन्हें नस्लीय नफरत से नही देखते है ये जानते हुए भी की उनके शासन में घोर मानवीय त्रासदियाँ हुई है और भयंकर मानवधिकार उल्लंघन हुए हैं .

ठीक उसी तर्ज पर हमें मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खड़ा करना है एक अहिंसात्मक आंदोलन की तर्ज पर जिसमे इनके साम्रज्यवाद सामन्तवाद साम्प्रदायिकता और फूट डालो राज करो के तंत्र को विफल करते हुए इनके शासन को खत्म करना है . याद रखिये मोदी शासन अब व्यवहार में एक ब्रिटिश साम्राज्यवाद जैसा विकराल रूप ले चुका है और साम्राज्यवाद के शासक कभी भी आंदोलन या विरोध प्रदर्शन करना पसंद नही करते और मोदी जी भी 2018 आते आते विरोध प्रदर्शनों और आंदोलनों के बारे में येही विचार रख चुके हैं . साम्राज्यवाद की खुमारी है और येही खुमारी एक अघोषित आपातकाल का रूप ले रही है और इस अघोषित आपातकाल को  सिर्फ एक सशक्त वैकल्पिक विचारधारा ही समाप्त कर सकती है , बशर्ते उस विचारधारा का एहसास जनता के मन में अपनी सशक्त जगह बना सके.