Tuesday, February 12, 2019

क्या ध्वस्त हो चुका है भाजपा का सोशल मीडिया पर एक तरफा प्रभुत्व ? विभिन्न विषयों पर हुए ऑनलाइन वोटिंग के परिणामो ने किया इस बात को और पुख्ता .

एक आँसू भी हुकूमत के लिए खतरा है
तुमने देखा नहीं आँखों का समुंदर होना
- मुन्नवर राणा

पर ये समुंदर छलक रहे हैं
लहर तुम्हारी पलट रहे है
नब्ज़ टटोलते ऑनलाइन पोल
खोल रहे हुकुमत की पोल
- अपुन 

साल 2014 भारतीय राजनीती के लिए एक एतिहासिक साल रहा जब तीस साल बाद कोई राष्ट्रिय स्तर का राजनैतिक दल लोकसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत के साथ केंद्र में सत्ता हासिल करने में सफल रहा और उस पूर्ण बहुमत के पीछे सोशल मीडिया का महत्वपूर्ण योगदान रहा , जो उस वक्त पूर्ण रूप से मोदी के पक्ष में दिखाई देता था .इसी सोशल मीडिया को हथियार बना कर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी लोकसभा चुनावो में पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने में सफल रहे बल्कि लोकसभा चुनावो से पहले 2013 में अपने दम पर हिंदी बेल्ट के तीन बड़े राज्य राजस्थान , एमपी और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावो में  प्रचंड बहुमत हासिल करने में सफल रहे और लोकसभा चुनावो के बाद, एक के बाद एक विधानसभा चुनावो में भी मोदी के नेतृत्व में भाजपा बहुमत हासिल करने में सफल रही और मार्च 2017 के उत्तरप्रदेश चुनावो में प्रचंड बहुमत हासिल करने में सफल रहे और सोशल मीडिया पर भी मोदी और भाजपा का दब दबा बरकरार रहा . 

परन्तु समय बदलते देर नही लगी , सत्ता विरोधी लहर सोशल मीडिया के माध्यम से प्रबल होती जा रही थी . 2018 में हिंदी बेल्ट के तीनो राज्यों के विधानसभा चुनावो में भाजपा को मिली करारी शिकस्त के चलते सोशल मीडिया का मौसम एक तरफा नहीं रहा और ना ही कोई 2014 वाली  "मोदी लहर" कायम है . सोशल मीडिया पर इस सत्ता विरोधी माहौल का निर्माण रातो रात नहीं हुआ है . गुजरात में एक राज्यसभा सीट को लेकर चले नाटकीय घटनाक्रम के बाद कांग्रेस को मिली जीत ने सन्गठन में फिर से जान फूंक दी ,उपचुनावों में मिल रही सफलताओं और कांग्रेस के बेहतर प्रदर्शन के पीछे सोशल मीडिया की जबर्दस्त भूमिका रही है .कांग्रेस पार्टी की सशक्त होती शेत्रिय-केन्द्रीय सोशल मीडिया टीम और सुधरते शेत्रिय सन्गठन एवं बूथ प्रबन्धन के चलते भी कांग्रेस गुजरात में बतौर विपक्ष अपनी मज़बूत स्थिति बना पाई और भाजपा अपने ही गढ़ में सो का आंकड़ा पार नहीं कर पाई . 16 विधानसभा सीटे गुजरात में ऐसी थी जो भाजपा केवल 200 से 2000 वोटो के मार्जिन से जीत पाई हैं. 

कर्नाटका में हुए विधानसभा चुनावो में भी भाजपा से कम सीटे हासिल करने के बावजूद भी भाजपा के मुकाबले 6 लाख 50 हज़ार से भी अधिक वोट अधिक मिले और शेत्रिय दल के साथ गठ्बन्धन की सरकार बनाने में कांग्रेस सफल रही .कर्नाटका में भी सात सीटे कांग्रेस सिर्फ 5000 से कम के मार्जिन से हारी हैं. गुजरात कर्नाटका राजस्थान एमपी और छत्तीसगढ़ के चुनावो पर अगर आप नज़र डालेंगे तो पता चलेगा की ऐसी सैंकड़ो विधानसभा शेत्र है जहाँ हार जीत का अंतर पाँच प्रतिशत से भी कम रहा है  .ये सभी आंकड़े स्पष्ट दिखलाते है की चुनावो में अब परिस्थतियाँ एक तरफा नहीं रही है , चाहे बूथ स्तर हो या सोशल मीडिया का शेत्र अब किसी भी एक विचारधारा का प्रभुत्व नहीं रह गया है . परिस्थितियाँ निरंतर बदल रही है . 

पर ये बदलती राजनैतिक परिस्थितियां तब और मुखर होकर सामने प्रकट हुई जब हाल ही के दिनों में फेसबुक और ट्विटर पर विभिन्न मीडिया चैनलों और कुछ सोशल मीडिया हस्तियों द्वारा विभिन्न विषयों पर कराए गये ऑनलाइन पोल्स के नतीजे बेहद चौकाने वाले निकले . विभिन्न विषयों पर कराए गए ऑनलाइन पोल्स साफ़ दर्शाते है की बतौर राजनैतिक विकल्प कांग्रेस अब मजबूत स्थिति में है और भाजपा के पक्ष में अब एकतरफा माहौल समाप्त हो चुका है या यूँ कहे तो भाजपा का ऑनलाइन - सोशल मीडिया एकाधिकार समाप्त हो चुका है. 

हाल ही के दिनों में फेसबुक और ट्विट्टर पर आयोजित किए गये ऑनलाइन -सोशल मीडिया मतदान (poll) के नतीजे चौकाने वाले थे . तो नज़र डालते हैं इन ऑनलाइन सोशल मीडिया पोल्स के आए चौकाने वाले नतीजों पर .



ओड़िसा रीडर का फेसबुक पोल - 
ओड़िसा की शेत्रिय ऑनलाइन न्यूज़ वेबसाइट
ओड़िसा रीडर द्वारा आयोजित किए गये इस फेसबुक ऑनलाइन मतदान में 22 हज़ार से भी अधिक लोगो ने ऑनलाइन मतदान किया . जिसमे ये सवाल पूछा गया की 2019 के लोकसभा चुनाव में किस राजनैतिक दल के पक्ष में मतदान करेंगे . भाजपा या कांग्रेस . इस मतदान के परिणाम चौकाने वाले थे क्यूंकि 52 फीसदी लोगो ने कांग्रेस के पक्ष में मतदान किया और मोदी के पक्ष में 48 फीसदी लोगो ने मतदान किया . यानी की तकरीबन 11400 से अधिक वोट कांग्रेस के पक्ष में पड़े .
पोल लिंक - http://tiny.cc/ynwj3y

                                                                                                                                                                              


एशिया नेट न्यूज़ का महा-फेसबुक पोल - 
दूसरा फेसबुक पोल दक्षिण भारत के सबसे बड़े न्यूज़ चैनलों  में से एक एशिया नेट न्यूज़ द्वारा आयोजित करवाया गया . इस पोल के नतीजे भी कांग्रेस पार्टी और राहुल गाँधी के पक्ष में रहे. 53 फीसदी लोगो ने राहुल गाँधी के पक्ष में मतदान किया. इस फेसबुक मतदान  में 2 लाख 70 हज़ार से भी अधिक फेसबुक यूज़र्स ने ऑनलाइन मतदान किआ और 53 फीसदी लोगो ने ,यानि की 1,43,000 फेसबुक यूज़र्स ने राहुल गाँधी के पक्ष में ऑनलाइन मतदान किया.     
पोल लिंक -  http://tiny.cc/4yvj3y
                           





जब मोदी भक्त विवेक अग्निहोत्री का करना पड़ा ट्विटर पर शर्मिंदगी का सामना -
👈सवाल - नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी के बीच अगर बहस होती है तो आप राहुल गाँधी को कितने वोट दोगे. 
जंग सिर्फ फेसबुक तक ही सिमित नहीं है.जानेमाने बॉलीवुड डायरेक्टर और मोदी समर्थक विवेक अग्निहोत्री भी इस बार अपने ऑनलाइन ट्विट्टर पोल के परिणामो से हैरान रह गए . सात फरवरी को ट्विट्टर पर उन्होंने ट्विट्टर पोल के माध्यम से सवाल किया की अगर नरेंद्र मोदी और राहुल गाँधी में कोई बहस या डिबेट होती है तो राहुल गाँधी को कितने नंबर मिलेंगे . इस ट्विटर पोल के परिणाम काफी चौकाने वाले थे क्यूंकि 56 फीसदी लोगो ने राहुल गाँधी को 100 अंक दे दिए. 89,827 यूजर्स ने इस ट्विट्टर पोल का हिस्सा बने और तकरीबन 50,000 लोगो से भी अधिक लोगो ने राहुल गाँधी के पक्ष में जबर्दस्त मतदान कर डाला. 
                          पोल लिंक -    https://bit.ly/2Spw6o7


इंडिया टुडे और आज तक ट्विट्टर पोल - जब मिली भक्तों को कड़ी टक्कर -  

विभिन्न हिंदी और अंग्रेजी मीडिया चैनलों द्वारा आयोजित ट्विटर पोल्स के परिणाम भी चौकाने वाले परिणाम दर्शा रहे थे . 6 फरवरी को आज तक और इंडिया टुडे द्वारा आयोजित ट्विट्टर पोल्स में जब पूछा गया की "क्या राहुल और प्रियंका की जोड़ी मोदी योगी को टक्कर दे पायेगी ?"  इस सवाल पर आजतक ट्विटर पोल पर साढ़े तेईस हज़ार से भी अधिक लोगो ने हिस्सा लिया और 51 फीसदी लोगो ने लोगो ने ये माना की राहुल प्रियंका की जोड़ी मोदी - योगी की जोड़ी को टक्कर दे सकती है और वहीँ इंडिया टुडे के ट्विट्टर पोल में  चार हज़ार छैसो से अधिक लोगो ने पोल में हिस्सा लिया और 54 फीसदी लोगो ने  राहुल और प्रियंका गाँधी के साझा नेतृत्व को  मोदी योगी की जोड़ी के सामने बतौर चुनौती स्वीकार नही किया .गौर करने वाली बात ये है की आजतक के पोल में तेईस हज़ार से अधिक लोगो ने मतदान किया वहीँ इंडिया टुडे के पोल में चार  हज़ार छह सो से थोड़े से अधिक लोगो ने मतदान किया . दोनों ट्विटर पोल्स के परिणामो को देख कर कहा जा सकता है की अब इस ऑनलाइन भीड़ का एक बहुत बड़ा तबका गाँधी परिवार और कांग्रेस की तरफ झुकाव दिखा रहा है , जो पाँच साल पहले लगभग गायब था . 

दोनों ट्विटर पोल्स के माध्यम से एक ही सवाल - क्या राहुल-प्रियंका की जोड़ी लोकसभा और उत्तरप्रदेश में मोदी-योगी की जोड़ी को कड़ी टक्कर दे पाएगी.

  पोल लिंक 
                                   https://twitter.com/aajtak/status/1093051437578444800?s=19                                                                                              https://twitter.com/IndiaToday/status/1093045653398306816?s=19
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पूर्वी उत्तरप्रदेश के सन्दर्भ में आयोजित ट्विटर पोल - 

24 जनवरी को आजतक और इंडिया टुडे द्वारा करवाए गए ऑनलाइन ट्विट्टर पोल में भी कड़ी टक्कर देखने को मिली , सवाल था की "क्या योगी आदित्यनाथ के गढ़ में प्रियंका बीजेपी के लिए खतरे की घंटी है ?" और ऑनलाइन भीड़ के एक बड़े तबके ने इस बात को स्वीकार किया की प्रियंका गाँधी , योगी आदित्यनाथ के लिए एक चुनावी चुनौती है जहाँ आजतक के पोल में सोलह हज़ार से भी अधिक लोगो ने हिस्सा लिया वहीँ इंडिया टुडे के पोल में ग्यारा हज़ार से भी अधिक लोगो ने हिस्सा लिया . परिणामो से एक रुझान स्पष्ट है की इस ऑनलाइन भीड़ में राय अब एक तरफा नही रही है और जनता विकल्प की तरफ रुझान दिखा रही है . 

सवाल - क्या योगीनाथ आदित्यनाथ के गढ़ में प्रियंका गाँधी की एंट्री एक खतरे की घंटी है ?


ट्विटर पोल लिंक - 
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टाइम्स नाउ के बिगड़ते ट्विटर पोल परिणाम - 

अब तक जो आपने ट्विट्टर पोल्स देखे , उन सभी ट्विट्टर पोल्स में मत विभाजन लगभग बराबर सा रहा था , परन्तु सबसे ज्यादा हैरान कर देने वाले परिणाम तो अंग्रेजी न्यूज़ चैनल टाइम्स नाउ द्वारा आयोजित ट्विटर पोल्स के रहे . इस अंग्रेजी न्यूज़ चैनल को गोदी मीडिया की श्रेणी में रखा जाता है क्यूंकि की जिस प्रकार की चर्चा और न्यूज़ अपडेट्स आपको इस चैनल पर देखने को मिलेगी वो अक्सर सत्ता में आसीन भाजपा - मोदी सरकार के पक्ष में ही प्रकाशित होती है , ये न्यूज़ चैनल एक दक्षिणपंथी न्यूज़ चैनल है जो केंद्र में मौजूद दक्षिणपंथी मोदी सरकार के पक्ष में खबरे प्रकाशित करता है और विपक्ष की भूमिका और नीतियों का धुर विरोधी रहता है . परन्तु इस बार ट्विटर पोल्स पर पासा पलट चुका था ,अक्सर इस न्यूज़ चैनल के ट्विटर पोल्स के परिणाम सत्तापक्ष के पक्ष में यानी की मोदी सरकार के पक्ष में ही रहते थे परन्तु 23 जनवरी से लेकर 7 फरवरी के बीच आयोजित करवाए गये ट्विटर पोल्स के परिणाम , मोदी सरकार के उमीदों से एक दम उलट रहे या कहें तो टाइम्स नाउ न्यूज़ चैनल के मोदी समर्थक जैसा परिणाम चाहते थे , वैसे नही रहे . 

28 जनवरी को राहुल गाँधी के न्यूनतम आय की गारंटी के सन्दर्भ में की गई नीतिगत घोषणा पर चलाए गये ट्विटर पोल में 64 फीसदी लोगो ने इसे एक "गेम चेनजर" अर्थार्त दशा और दिशा बदलने वाली क्रांतिकारी नीति बताया वहीँ मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए अंतरिम बजट के विषय पर 1 फरवरी को आयोजित किए गए ट्विटर पोल को 60 फीसदी लोगो ने इसे "जुमला" करार दिया . 28 फरवरी को आयोजित हुए न्यूनतम आय की गारंटी के सन्दर्भ में ट्विट्टर पोल पर जहाँ तेतीस हज़ार आठ सो यूज़र्स से भी अधिक यूज़र्स ने हिस्सा लिया,वहीँ मोदी सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए अंतरिम बजट के सन्दर्भ में आयोजित ट्विट्टर पोल में अठारह हज़ार नोसो से भी अधिक यूज़र्स ने अपना मतदान किया .


ट्विटर पोल लिंक 


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जब डीएनए ट्विटर पोल का डीएनए बिगड़ गया .

ट्विटर पोल लिंक 
https://twitter.com/dna/status/1091302472650375168?s=19
👈सवाल - क्या आप अंतरिम बजट से खुश है ?
ट्विटर पर सरकार विरोधी पोलिंग सिर्फ टाइम्स नाउ के न्यूज़ चैनल तक सिमित नही रही जी न्यूज़ नेटवर्क के 
डी.एन.ए. ट्विटर पोल में भी अंतिम परिणाम सरकार के पक्ष में नही रहे , यहाँ भी 51 फीसदी यूज़र्स ने मोदी सरकार के अंतरिम बजट को नकार दिया . निश्चित तौर पर अब ये ऑनलाइन सोशल मीडिया भीड़ सरकार के पक्ष में कम , विपक्ष और विकल्प की तरफ अधिक झुकाव दिखा रही है . गौरतलब है की जी न्यूज़ भी एक गोदी मीडिया न्यूज़ चैनल की श्रेणी का न्यूज़ चैनल है . जिसकी मोदी भक्ति और दक्षिणपंथी प्रवर्ती किसी से नहीं छुपी है . 


प्रियंका गाँधी और बेरोजगारी के विषय पर भी इस न्यूज़ चैनल के मोदी भक्तों को होना पड़ा निराश. 

बात सिर्फ न्यूनतम आय गारंटी या अंतरिम बजट जैसे विषयों पर हो रहे ट्विटर पोल्स तक सिमित नही रही.
23 फरवरी को प्रियंका गाँधी के विषय पर और 31 जनवरी को बढ़ती बेरोजगारी के विषय पर भी जब टाइम्स नाउ ने ट्विट्टर पोल्स का आयोजित करवाए तो दोनों पोल्स में ज़बरदस्त वोटिंग हुई प्रियंका गाँधी के विषय में हुए ट्विटर पोल पर छप्पन हज़ार से भी अधिक यूज़र्स ने वोट किया और बेरोजगार के विषय पर आयोजित ट्विटर पोल पर चौतीस हज़ार से भी अधिक यूज़र्स  ने हिस्सा लिया और फिर से परिणाम एक तरफा रहे .

ट्विटर पोल लिंक 

सवाल-क्या प्रियंका गाँधी नरेंद्र मोदी                             सवाल-क्या मोदी सरकार बेरोजगारी के विषय पर
को चुनौती दे पाएंगी ?                                                   विफल रही है ?

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जब मोदी के बयान से जुड़े ट्विटर पोल पर हुई "असहमति " की महा मिलावट - 

7 फरवरी को आयोजित हुए इस टाइम्स नाउ के इस ट्विट्टर पोल पर मानो कहर टूट पड़ा हो . जब विपक्षी दलों पर दिए गए महामिलावट वाले बयान पर ट्विट्टर यूज़र्स ने जताई एक तरफा असहमति .13925 वोट में से तकरीबन 8450 यूज़र्स से भी अधिक यूज़र्स ने इस बयान के विरोध में वोटिंग की और टाइम्स नाउ के ट्विटर पोल पर असहमति की मिलावट कर दी और वो भी एकतरफा मिलावट . शायद इस मिलावट को देख टाइम्स नाउ चैनल की दक्षिणपंथी न्यूज़ एंकर एवं एडिटर नाविका की भक्ति में खलल ज़रूर पैदा हुआ होगा .

पोल लिंक 



निष्कर्ष - अभी तो ली अंगड़ाई है -

इन तमाम ट्विटर पोल्स और फेसबुक पोल्स के परिणामो पर नज़र डाले तो एक रुझान साफ़ झलक रहा है , इस देश का विपक्ष कम से कम सोशल मीडिया पर एक बड़े स्तर पर अप्रत्यक्ष रूप से संगठित हो रहा है ,जो बिखराव और विभाजन विपक्ष का सोशल मीडिया पर दिखाई देता था जो उदासीनता विपक्ष के खेमे से हमेशा उजागर होती थी वो उदासीनता ,वो बिखराव , वो विभाजन अब खत्म होता जा रहा है . जो सोशल मीडिया पर राहुल गाँधी , गाँधी परिवार और कांग्रेस को लेकर विपक्ष के खेमे में भी एक अस्वीकार्य का भाव था और एक असहमति का भाव था वो विचार और भाव अब खत्म हो चुका है . तीन राज्यों मे कांग्रेस की जीत ने सोशल मीडिया पर चल रहे भाजपा के प्रभुत्व को ध्वस्त कर दिया है , क्यूंकि संदेश साफ़ है - "की आप भाजपा को हरा सकते है " . 

और सबसे ज्यादा गौर फरमाने वाली घटना तो सोशल मीडिया पर घटित हो रही है - 
जहाँ एक पूर्ण रूप से सुनियोजित,एक पूर्ण रूप से संगठित और प्रायोजित "भाजपा आई टी सेल" , जो रोज़ मीडिया और सोशल मीडिया के माध्यम से नफरत , पूर्वाग्रह और फर्जी खबरे बेचता और साझा करता है , वो ताकतवर भगवा भाजपा आई टी सेल आज इस देश के असंगठित और गैर प्रायोजित सोशल मीडिया के सामने अपनी बढ़त खोता हुआ दिख रहा है.शायद इस असंगठित और गैर प्रायोजित सोशल मीडिया की ताकत का मोदी सरकार को अंदाज़ा नहीं है . याद रखिएगा की हमने आज़ादी की लड़ाई भी एक बहुत ही संगठित और पूंजीवाद से प्रयोजित साम्राज्यवादी ब्रिटिश हुकुमत से लड़ी थी और जब हम ब्रिटिश हुकुमत से लड़ सकते थे तो उसी ब्रिटिश हुकुमत या और सटीक बोले तो हिटलर हुकुमत के पद्दचिन्हों पर चलने वाली मोदी हुकुमत से क्यूँ नहीं लड़ सकते . हम लड़ेंगे और हम जीतेंगे . 


किस सोच में हैं आइने को आप देख कर
मेरी तरफ़ तो देखिए सरकार क्या हुआ ....

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